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Wednesday, 4 September 2013

लघु कथा : जय जय निराशा माई-जय जय पाखंडी बाबा की अधमाई

पुत्र रत्न की प्राप्ति हेतु आसक्त निराशा देवी ने पाखंडी बाबा से एक पाख तक यग्य कराया, और अंतत:  पुत्र रत्न पाया ।

कहीं दस वर्षों बाद गुरु दक्षिणा चुकाने की बारी आई ।  सपरिवार पुन: उसी यग्य मढैया में जा पहुंची ।
अपनी बड़ी बेटी को बाबा की सेवा में लगाई ।

 जय जय निराशा माई-जय जय पाखंडी बाबा की अधमाई-
पर यह बात पिता को रास ना आई-और उसने  दिल्ली में एक अर्जी लगवाई । महंगी पड़ी बाबाई- 

Sunday, 6 January 2013

हमेशा गलती चाक़ू की - चाहे कद्दू खुद गिरे / धड़ाम -


एक देश एक समाज ।
हो गया है क्या आज ??
आधा देश 
हरामजादा -
आधी आबादी 
शहजादी-
पालन पोषण परिवार-
कोई कैसे देता नकार-
हमेशा गलती चाक़ू की -
चाहे कद्दू खुद गिरे 
धड़ाम -
सफेदपोशों की निकले हाय राम -
हम्माम में ही नहीं सचमुच सब नंगे हो-
गिरेबान में झांको-
कद्दुओं तुम भी कुछ बदलो- 
 

Saturday, 5 January 2013

दूध की धुली नारियाँ -

फ़िल्मी परदे पर अठखेलियाँ-
विज्ञापन में मजाक उडाती चेलियाँ 
पड़ोसन अल्बेलियाँ 
जो मुंह-बोले भतीजों से लगवाती रहती हैं पीठ पर साबुन
लिव-इन-रिलेशन - 
गुप्त-सम्बन्ध 
बनाती रहती है स्वयं नए रिश्ते-
नाबालिग छोरों को सीधे सीधे फाँसती 
फिर भी सती -
लड़कों का करती बालात्कार-
न्याय का समान अधिकार 
इसे भी करें शामिल 
नए प्रावधानों में -

Friday, 17 August 2012

मदनलाल ढींगरा :विनम्र श्रद्धांजलि




Madanlal Dhingra - A Great hero who killed an enemy of India in the London
मदनलाल ढींगरा (अंग्रेजी: Madan Lal Dhingra, जन्म: १८ सितम्बर १८८३ - फाँसी: १७ अगस्त, १९०९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी थे। वे इंग्लैण्ड में अध्ययन कर रहे थे जहाँ उन्होने विलियम हट कर्जन वायली नामक एक ब्रिटिश अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना बीसवीं शताब्दी में भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की कुछेक प्रथम घटनाओं में से एक है। इसी क्रान्तिकारी घटना से भयाक्रान्त होकर अंग्रेजों ने मोहनदास करमचन्द गान्धी को महात्मा के वेष में दक्षिण अफ्रीका से बुलाकर भारत भिजवाने की रणनीति अपनायी[1]

मदनलाल ढींगरा का जन्म १८ सितम्बर,सन् १८८३ को पंजाब प्रान्त के एक सम्पन्न हिन्दू परिवार में हुआ था। उनके पिता दित्तामल जी सिविल सर्जन थे और अंग्रेजी रंग में पूरी तरह रंगे हुए थे किन्तु माताजी अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण महिला थीं। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था और जब मदनलाल को भारतीय स्वतन्त्रता सम्बन्धी क्रान्ति के आरोप में लाहौर के एक कालेज से निकाल दिया गया तो परिवार ने मदनलाल से नाता तोड़ लिया। मदनलाल को जीवन यापन के लिये पहले एक क्लर्क के रूप में, फिर एक तांगा-चालक के रूप में और अन्त में एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पड़ा। कारखाने में श्रमिकों की दशा सुधारने हेतु उन्होने यूनियन (संघ) बनाने की कोशिश की किन्तु वहाँ से भी उन्हें निकाल दिया गया। कुछ दिन उन्होंने मुम्बई में काम किया फिर अपनी बड़े भाई की सलाह पर सन् १९०६ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गये जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी कालेज लन्दन में यान्त्रिक प्रौद्योगिकी (Mechanical Engineering) में प्रवेश ले लिया। विदेश में रहकर अध्ययन करने के लिये उन्हें उनके बड़े भाई ने तो सहायता दी ही, इंग्लैण्ड में रह रहे कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से भी आर्थिक मदद मिली थी।

सावरकर के सानिध्य में

लन्दन में ढींगरा भारत के प्रख्यात राष्ट्रवादी विनायक दामोदर सावरकर एवं श्यामजी कृष्ण वर्मा के सम्पर्क में आये। वे लोग ढ़ींगरा की प्रचण्ड देशभक्ति से बहुत प्रभावित हुए। ऐसा विश्वास किया जाता है कि सावरकर ने ही मदनलाल को अभिनव भारत नामक क्रान्तिकारी संस्था का सदस्य बनाया और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया। मदनलाल इण्डिया हाउस में रहते थे जो उन दिनों भारतीय विद्यार्थियों के राजनैतिक क्रियाकलापों का केन्द्र हुआ करता था। ये लोग उस समय खुदीराम बोस, कन्हाई लाल दत्त, सतिन्दर पाल और काशी राम जैसे क्रान्तिकारियों को मृत्युदण्ड दिये जाने से बहुत क्रोधित थे। कई इतिहासकार मानते हैं कि इन्ही घटनाओं ने सावरकर और ढींगरा को सीधे बदला लेने के लिये विवश किया।

कर्जन वायली का वध

१ जुलाई सन् १९०९ की शाम को इण्डियन नेशनल ऐसोसिएशन के वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिये भारी संख्या में भारतीय और अंग्रेज इकठे हुए। जैसे ही भारत सचिव के राजनीतिक सलाहकार सर विलियम हट कर्जन वायली अपनी पत्नी के साथ हाल में घुसे, ढींगरा ने उनके चेहरे पर पाँच गोलियाँ दागी; इसमें से चार सही निशाने पर लगीं। उसके बाद ढींगरा ने अपने पिस्तौल से स्वयं को भी गोली मारनी चाही किन्तु उन्हें पकड़ लिया गया।

अभियोग

२३ जुलाई १९०९ को ढींगरा के केस की सुनवाई पुराने बेली कोर्ट में हुई। अदालत ने उन्हें मृत्युदण्ड का आदेश दिया और १७ अगस्त सन् १९०९ को फाँसी पर लटका कर उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। मदनलाल मर कर भी अमर हो गये।

Friday, 6 July 2012

पुहुप वास से पातरा, ऐसा तत्व अनूप ।

 (1)
बेशर्म
अपने अपने धर्म को -
मानते हैं सर्वश्रेष्ठ -
खुद नहीं पालन करते एक भी तत्व ।
पर झोंक देते हैं सर्वस्व--
दूसरे के धर्म को 
नीचा दिखाने में ।

(2)
कण कण में भगवान् ।
नहीं कण कण भी भगवान् ।
बू आती है साम्प्रदायिकता की ।
थू थू -



Monday, 2 July 2012

प्रतापगढ़ की रिपोर्ट -


पहले एक नाबालिग के साथ
तीन दिनों तक एक समुदाय द्वारा
बलात्कार फिर हत्या ।
दूसरे समुदाय की प्रतिक्रिया और कई घर जला दिए गए -
सरकारी सहायता पहले समुदाय को ।
जय जय अखिलेश मियां ।।

Tuesday, 19 June 2012

3-न्यूज

बंगाल-
मधु से माँ ने मोबाइल छीना ।
डांट -डपट 
आग लगाईं झट ।।
ख़तम ख़ट-पट -

झारखण्ड -
गुडिया देवी का सामान्य प्रसव
चार बच्चे एक साथ
स्वस्थ 
दो गुडिया दो गुड्डे -
जलें घर के बुड्ढे ।
50% आरक्षण

पंजाब-
सात साल की शादी -
सीमा कौर लौटी 
पूर्व प्रेमी के पास वापस ।
आशिक सच्चे  ।
बेचारे दो बच्चे -
बाप के पास ।

लन्दन-
किम की माँ उसे
14 साल की उम्र से ही देने लगी
गर्भ-निरोधक गोलियां ।
संस्कारित किया ।।