(1)
बेशर्म
अपने अपने धर्म को -
मानते हैं सर्वश्रेष्ठ -
खुद नहीं पालन करते एक भी तत्व ।
पर झोंक देते हैं सर्वस्व--
दूसरे के धर्म को
नीचा दिखाने में ।
(2)
कण कण में भगवान् ।
नहीं कण कण भी भगवान् ।
बू आती है साम्प्रदायिकता की ।
थू थू -
बेशर्म
अपने अपने धर्म को -
मानते हैं सर्वश्रेष्ठ -
खुद नहीं पालन करते एक भी तत्व ।
पर झोंक देते हैं सर्वस्व--
दूसरे के धर्म को
नीचा दिखाने में ।
(2)
कण कण में भगवान् ।
नहीं कण कण भी भगवान् ।
बू आती है साम्प्रदायिकता की ।
थू थू -
thoughtful poem
ReplyDeleteगहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteबेशर्म
ReplyDeleteअपने अपने धर्म को -
मानते हैं सर्वश्रेष्ठ -
खुद नहीं पालन करते एक भी तत्व ।
पर झोंक देते हैं
दूसरे के धर्म को
नीचा दिखाने में
अपना सर्वस्व--